February 26, 2017
0
सुरा पी थी मैंने दिन चार

उठा था इतने से ही ऊब,

नहीं रुचि ऐसी मुझको प्राप्‍त

सकूँ सब दिन मधुता में डूब,


हलाहल से की है पहचान,
लिया उसका आकर्षण मान,
मगर उसका भी करके पान
चाहता हूँ मैं जीवन-दान!

अन्य 


0 comments:

Post a Comment

हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय कविताएं -Harivansh Rai Bachchan's Popular Poetry / Kavitaen

चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में / हरिवंशराय बच्चन ...Harivansh Rai Bachchan समीर स्‍नेह-रागिनी सुना गया / हरिवंशराय बच्चन --...Harivansh...